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नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10-9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है । नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी, और वैद्युत अभियाँत्रिकी. अभी यह कहना मुशकिल है कि इन रेखाओं में अनुसन्धान के क्या परिणाम होंगे। नैनोप्रौद्योगिकी को विद्यमान विज्ञान का नैनो स्केल में विस्तारीकरण, या विद्यमान विज्ञान को एक नये आधुनिक शब्ध में पुनराधारित कर रहा है।

बक्मिनिस्तर फुल्लरीन् C60, जिसे बकिबॉल भी कहतें हैं, जो कार्बन के सबसे सरल ढाचे, फुल्लरीन्, है। फुल्लरीन् परिवार के सदस्यों पर अनुसन्धान नैनोप्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण विषय है।
बक्मिनिस्तर फुल्लरीन् C60, जिसे बकिबॉल भी कहतें हैं, जो कार्बन के सबसे सरल ढाचे, फुल्लरीन्, है। फुल्लरीन् परिवार के सदस्यों पर अनुसन्धान नैनोप्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण विषय है।

नैनोतकनीक में दो प्रमुख पद्वतियों को अपनाया गया है। पहली पद्वति में पदार्थ और उपकरण आणविक घटकों से बनाए जातें हैं जो अणुओं के आणुविक अभिज्ञान के द्वारा स्व-एकत्रण के रसायनिक सिधान्तों पर आधरिथ है। दूसरी पद्वति में नैनो-वस्तुओं का निर्माण बिना अणु-सतह पर नियंत्रण के, बडे सत्त्वों से किया जाता है। नैनोतकनीक में आवेग माध्यम और कोलाइडल् विज्ञान पर नवीकृत रुचि, और नयी पीढी के विशलेष्णात्मक उपकरण, जैसे कि परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (AFM) और अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM)। इन यन्त्रों के साथ इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन और आणविक किरण एपिटैक्सी जैसे विधिओं के प्रयोग से नैनो-विन्यासों के प्रकलन से इस विज्ञान में उन्नति हुई।

आधुनिक उपयोग में नैनोतकनीक के उदाहरण आणुविक ढांचे पर आधारित पोलिमर, और सतह विज्ञान पर आधारित कम्प्यूटर चिप का निर्माण है। नैनोतकनीक के अनेक आशाजनक क्षेत्रों, जैसे क्वांटम डोट्स और नैनोंट्यूब्स, के बावज़ूद, वास्तविक वाणिज्यिक उपयोग अम्बार स्तर पर नैनोंकणों का उपयोग में सीमित है, जैसे धूप मलहम, प्रसाधन सामग्री, रक्षात्मक लेप, दवा सुपुर्दगी[१], और दाग प्रतिरोधी कपड़ों।


[संपादित करें] उद्गम

नैनोतकनीकी के सिद्धान्तों का पहला प्रयोग (मगर इस नाम के गढने से पूर्व) केल्टेक में दिसम्बर २९ १९५९, अमेरिकन फिसिकल असोसिएशन के बैठक के दोरान रिच्हर्ड फेइन्मन के व्याख्यान, "दैरस् प्लेंटी ओफ् रूम् एट् द बोटम" (आधार में काफी जगह है), में हुआ। फेमन ने एक विधि का उल्लेख किया जिसमें एकल अणुओं और अणुकणिकाओं के प्रकलन हेतु सूक्ष्म यन्त्रों को बनाने का सुझाव है। उन्होंने इस दोरान गुरुत्वाकर्षण के घटते प्रभाव, और पृष्ठ तनाव और वॉन् डर वाल् आकर्षण के बढते प्रमुखता का उल्लेख किया। नैनोतकनीक शब्द को गढने का श्रेय टोक्यो विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नोरिओ तानिगुच्हि ने किया। १९८० में इसकी परिभाषा का बखान गहराई सें एरिक ड्रेक्स्लर ने किया, जिन्होंने नैनो स्केल के विज्ञान और यंत्रों को लोकप्रिय बनाया अपने व्याख्यानों से और अपनी किताबें से। नैनोतकनीकी और नैनोविज्ञान १९८० के दशक में इन दो आविश्कारों से हुई: गुच्छ विज्ञान और अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM)। इनकी सहायता से १९८६ मे फुल्लरीन् का, और उसके कुछ साल बाद कार्बन नैनोट्यूब का। अर्धचालक नैनो क्रिस्टल का संश्लेषण, और उस पर अनुसंधान हुआ। इसके कारण कई नैनोंट्यूबों का आविश्कार हुआ। परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (AFM) का आविश्कार STM के ५ साल बाद हुआ।

कार्बन नैनोंट्यूब्स का सजीवन

कार्बन नैनोंट्यूब्स का सजीवन

[संपादित करें] मूल सिद्धान्त

एक नैनोमीटर मीटर का सौ करोडवां, या 10-9, भाग है। तुलना के लिये:

एक नैनोमीटर का एक मीटर की तुलनात्मक उपमाएं

  • अगर एक कंचा एक नैनोमीटर हो तो पृथ्वी एक मीटर होगा।[२]
  • एक नैनोमीटर एक आदमी की दाढी में उतना बडाव होगा जब तक के वह अपने अस्तरे को अपने चेहरे तक लाता है।[२]


[संपादित करें] बडे से छोटा: एक तात्विक परिप्रेक्ष्य

परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र से किया दृष्टिगोचर, स्वच्छ सोने (Au)(100) की सतह का प्रतिबिंब. अलग-अलग अणुओं को सतह में देखा जा सकता है।

परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र से किया दृष्टिगोचर, स्वच्छ सोने (Au)(100) की सतह का प्रतिबिंब. अलग-अलग अणुओं को सतह में देखा जा सकता है।


जैसे जैसे हम एक भौतिक वयवस्था को छोटा करते जाते हैं, हमें नये भौतिक प्रतिभासों का पता चलता है। इनमें शामिल हैं सांख्यिकीय यांत्रिकी और प्रमात्रा यांत्रिकी। मैक्रो, या १०-६ , आयामों में भी इन प्रतिभासों का पता नही चलता। नैनो स्केल में तल-क्षेत्रफल से घनफल के अनुपात के बढ जाने के कारण यांत्रिक, उष्ण, प्रकाशिक तथा उत्प्रेरक जैसे भौतिक गुणधर्मों का प्रभाव बदल जात है। नवीन "यांत्रिक" गुणधर्मों में अनुसंधान नैनोमेकैनिक्स् के तहत हो रहा है।

नैनो-पदार्थों के उत्प्रेरक बरताव का जैव-पदार्थों के साथ अंतःक्रिया के जोखिम का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विषय है।


नैनो-पदार्थों के इन गुणधर्मों के कई अनोखे अनुप्रयोग हैं। उदाहरण के लिये, गैर पारदर्शी पदार्थ का पारदर्शी होना (तांबा), अचर पदार्थों का उत्प्रेरक बनना (प्लाटिनम, सोना), गैर दहनशील का दहनशील पदार्थ बनना (एलुमिनियम), ठोस पदार्थ का सामान्य तापमान में तरल होना (सोना), या कुचालक पदार्थ का चालक होना (सिलिकॉन)।

[संपादित करें] सरल से जटिल: एक आणुविक परिप्रेक्ष्य

आधूनिक संश्लेषिक रासायनशास्त्र आज वहाँ तक पहुँच चुका है कि चोटे अणुओं से बडे ढाँचें की संरचना की जा सकती है। आज इन पद्यतियां से अनेकों प्रकार के उपयोगी रसायन बनाये जा रहे हैं, जैसे की दवायें और वाणिज्यिक उपयोगी बहुलकविशाल अणुकणिका रासायन शास्त या/और आणुविक स्वय-संयोजन इसे एक कदम आगे ले जाता है - एक-एक कर अणुओं को पुनर्निधारित आकारों में सहेज कर विशाल अणुकणिकाओं की संरचना करके।

अधिकांश लाभदायक ढांचों के निर्माण नही हो पा रहा है क्योंकि इसके लिये ज़रूरत पडती है जटिल और उष्मागतिकी के सिधांतों के परे अणुओं के असम्भव संरचनाओं की। इसके बावज़ूद प्रकृति में कई ऐसे उदाहरण हैं, जैसे कि जेम्स वॉट्स्न और फ्रैन्सिस क्रिक द्वारा व्याख्यित बेस पैर और किण्वक-विकृत्य अन्योन्यक्रियें। नैनोतकनीक कि चुनौती है प्रकृति के इन सिधांतों का प्रयोग करने की।

आणुविक दांतेदार पहिंयो का नासा के द्वारा कंप्यूटर अनुकरण

आणुविक दांतेदार पहिंयो का नासा के द्वारा कंप्यूटर अनुकरण

[संपादित करें] आणविक नैनोतकनीकी: एक दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य

आणविक नैनोतकनीकी में, जिसे आणविक निर्माण भी कहते हैं, नैनो स्केल की मशीनों का उपयोग करके आणुविक पैमाने पर नैनो पधार्थों को बनाया जाता है। यह तकनीक सामान्य निर्माण तकनीकों से भिन्न है, जिनका प्रयोग कार्बन नैनोट्यूब्स या नैनोकणों के उत्पादन में होत है। इस तकनीक का आधार प्रकृति के अनन्त उदाहरणों में मिलता है। ड्रेक्स्लर और अन्य वैज्ञानिकों [३] का विश्र्वास है कि, पहले जीव अनुकरण से, और फिर यांत्रिक अभियांत्रिकी के सिद्धांतों के उपयोग से उत्पादन तकनीकों को विकसित करके प्रोग्रामयोग्य युक्ति बनेंगे। वहीं कार्लोस मोन्टेमागमो[४] का मनना है कि सिलिकॉन और जैविक आणुविक मशीनों के तकनीकों को साथ लाने से बनेंगी नैनो सिस्टम्। एक और विचारधारा रिच्ह्रड स्माली की, जिनके अनुसार इनमे से किसी भी तकनीक के सफल होने की कोइ भी सम्भावना नही।

डॉ एलेक्स ज़ेटल और उनके साथियों [५] [६] ने लॉरेन्स बर्कली लैब में, और, हो और ली [७] ने कोर्नेल विश्वविद्यालय में कई महत्वपुर्ण सफलताएँ पायीं हैं।

[संपादित करें] नैनोप्रौद्योगिकी का उपयोग

हालांकि नैनोतकनीकी के संभावित उपयोगों का बवंडर सा है, अधिकतर वाणिज्यिक उपयोग पहली पीढ़ी के निष्क्रिय पधार्थों का ही है। इनमे शामिल है टैटेनियम डाई आक्साइड का प्रयोग प्रसाधन सामग्रीओं में, चाँदी नैनो कण का प्रयोग खादपदार्थों के डिब्बाबंदी, कपडों, कीटाणुनाशकों और घरेलू यंत्रों में, जस्ता आक्साइड नैनो कण का प्रयोग प्रसाधन सामग्रीओं, रंगलेप (पेंट), बाहरी-फर्नीचर वार्निश; और सेरियम आक्साइड ईंधन-उत्प्रेरक के रूप में।[८]

फिर भी, अभी अनुसंधान किये बिना अगले शिखर पर जाना संभव नही है। 'नैनो' शब्ध के मूल सिद्धातों को उत्पादन के स्तर तक ले जाने के लिये नैनो स्तर मे अणुओं का परिचालन पर अनुसंधान जारी है। किन्तु 'नैनो' शब्ध के तकनीकी उद्यमी और वैज्ञानिकों द्वारा दुरुपयोग एक प्रतिक्षेप को जन्म दे सकता है [९]चिकित्सा क्षेत्र में जैव तकनीक के क्षेत्र में नैनोतकनीक की मदद से कई सारी ऐसी बीमारियों का निदान संभव हो सकता है जो कि अभी काफ़ी मुश्किल है। उदाहरण के लिए नैनोतकनीक से बने शुक्ष्म संयंत्र को मनुष्य के शरीर के अंदर स्थापित करके मनुष्य की बीमारी की स्थिति की बराबर निगरानी रखी जा सकती है।


[संपादित करें] आशय

नैनोतकनीकी के व्यापक सम्भावित उपयोगों के दावों के कारण कई चिन्ताओं को व्यक्त किया जा रहा है। सामाजिक स्वास्थ्य पर इसके दुश्प्रभाव के डर से नैनो पदार्थों के औद्योगिक स्तर पर उत्पादन पर, जहाँ शासन के नियंत्रण की अपेक्षा की जा रही है, वहाँ इन नियंत्रणों से इस अनुसन्धान पर प्रोत्साहान देने की राय दी जा रही है।

दीर्घकालीन चिन्ताएं समाज पर आर्थिक कुप्रभाव, जैसे विकसित और विकासशील राष्टों के बीच बढते आर्थिक असमताएं, और अर्थव्यवस्था का पश्च-अभावग्रस्त अवस्था में जाना, हैं।

[संपादित करें] उल्लेख

  1. अब्डेलवाहेद डब्लू, डेगोबर्ट जी, स्टैनमेस्सि एस, फेस्सि एच, (2006). "Freeze-drying of nanoparticles: Formulation, process and storage considerations". Advanced Drug Delivery Reviews. 58 (15): 1688-1713.
  2. २.० २.१ Kahn, जेनिफर (2006). "नैनोतकनीकी". नेशनल जियोग्राफिक 2006 (June): 98-119.
  3. http://www.crnano.org/developing.htm Developing Molecular Manufacturing, क्रिस फीनिक्स
  4. http://www.cnsi.ucla.edu/institution/personnel?personnel%5fid=105488 कार्लोस मोन्टेमागमो
  5. http://www.physics.berkeley.edu/research/zettl/pdf/312.NanoLett5regan.pdf Nanocrystal-Powered Nanomotor, डॉ एलेक्स ज़ेटल और उनके साथी
  6. http://www.lbl.gov/Science-Articles/Archive/sabl/2005/May/Tiniest-Motor.pdf Surface-tension-driven nanoelectromechanical relaxation oscillator, डॉ एलेक्स ज़ेटल और उनके साथी
  7. http://www.news.cornell.edu/releases/Nov99/molecules.ws.html कोर्नेल समाचार, Chemical bonding by assembling molecules one at a time
  8. नैनोतकनीकी उपभोक्ता उत्पाद सूची (अंग्रेजी)
  9. डेविड बेरूबे का चिंतन नैनो के बवंडर पर (अंग्रेजी)

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